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मनमयूरी
ओ,
शहद वाली
नमकीन आँखो वाली
कुछ मेरी भी सुनो
शोलों सी न भडको
पल-पल न सिसको
किस बात से हो हैरां
बक्कुर तो फोड़ो
यूँ आँगन न खोदो
ओ,
ह्रदय दुलारी
ख़्वाब सुंदरी
न ठहराओ हरजाई
न तौलो एक-एक सांस
किस बात का है शिकवा
बक्कुर तो फोड़ो
तुमुलनाद चुप्पी न साधो
ओ,
मनमयूरी
…!!
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